भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऊंचा डाना बटि, बाटा-घाटा बटि / कुमाँऊनी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:40, 15 फ़रवरी 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: दयाल पान्डेय

ऊंचा डाना बटि, बाटा-घाटा बटि,
ऊंचा ढूंगा बटि, सौवा बोटा बटि,
आज ऊंणे छे आवाज,
म्यर पहाड़, म्यर पहाड़।
ऊंचा पहाड़ को देखो, डाना हिमाला को देखो,
और देखि लियो, बदरी-केदार
म्यर पहाड़
यांको ठंडो छू पांणि, नौवा-छैया कि निशानी,
ठंडी-ठंडी चली छे बयार
म्यर पहाड़
जय-जय गंगोतरी, जय-जय यमनोतरी,
जय-जय हो तेरी हरिद्वार
म्यर पहाड़
तुतरी रणसिंहा तू सुण
दमुआ नंगारा तू सुण
आज सुणिलै तू हुड़के की थाप
म्यर पहाड़, म्यर पहाड़