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ऊहापोह / अर्पिता राठौर

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रेत ने सोचा,
कि समय
उससे पहले
फिसल जाएगा ।

और समय था
कि रेत के फिसलने का
इन्तज़ार कर रहा था ।

और
इसी ऊहापोह में
 
ये शाम भी
बीत गई ।