http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%AB%E0%A4%BC_%E0%A4%B8%E0%A5%87_/_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9&feed=atom&action=historyएकलव्य की तरफ़ से / दिनेश कुशवाह - अवतरण इतिहास2024-03-29T09:28:25Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%A4%E0%A4%B0%E0%A4%AB%E0%A4%BC_%E0%A4%B8%E0%A5%87_/_%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%B6_%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9&diff=128695&oldid=prevShrddha: नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुशवाह |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ग़ज़ब की राम मा…2011-09-16T16:33:52Z<p>नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुशवाह |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ग़ज़ब की राम मा…</p>
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|रचनाकार=दिनेश कुशवाह<br />
|संग्रह=<br />
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<poem><br />
ग़ज़ब की राम माया है <br />
ये कैसी धूप छाया है <br />
कि जिनके पास फंदे हैं<br />
उन्हीं के पास दाना है ।<br />
<br />
भला क्या भेष धारे है<br />
वे सारा देश तारे हैं <br />
कि उनकी कोठियों और <br />
थालियों में भरा सोना है ।<br />
<br />
ये कैसी अग्निदीक्षा है<br />
कठिन कितनी परीक्षा है<br />
कि कोदो की पढ़ाई में<br />
किसी नर का अँगूठा है ।<br />
<br />
ये गीता भी उन्हीं की है <br />
गदा-गांडीव जिनके हैं<br />
जो अपने थे वे गूँगे थे<br />
यही तो रोना, रोना है ।<br />
<br />
मगर जब बात बोलेगी<br />
तो कितने भेद खोलेगी<br />
तुम्हारा बोलना भी <br />
इस सदी में तंत्र-टोना है । </poem></div>Shrddha