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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'}}{{KKCatDoha}}<poem>
12
दोष सभी मैं ओढ़ लूँ, मुझको सदा क़ुबूल।
कौन वैद कर पाएगा,ऐसों का उपचार।।
18
'''एक किरण है भोर की,मेरे मन के द्वार।''''''सब अँधियारे चीरके ,आएगा उजियार।'''
19
सारे धन छूटें भले, धीरज रखना साथ।
सुखमय जीवन हो सदा,मिट जाएँ सन्ताप।
हर पल सौरभ ही उड़े, जिसके संग हों आप।।
 
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