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"एक खिड़की खुली है अभी / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर

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एक ही राह पर चलते चले जाने और
 
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हर आंधी से ख़ुद्को बचाते रहनेकी आदत ने
 
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घुप्प अंधेरे में
 
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सीढ़ीनुमा एक खिड़की
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खुलती हुई
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आसमान की तरफ
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जीना सिखाती
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आती है यहीं से
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कभी चमचमाती धूप, रिमझिमाते बादल,
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कभी ओलों की बौछार
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झपट्टा मारती चमकती आँखों वाली बिल्ली...
  
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पहले की तरह
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इस बार मैं डरा हुआ नहीं हूँ
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खुली खिड़की--
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हँसती है
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रोती है/ सुबकती है/ थिरकती है/ ढहती है
  
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अंधेरी हवेली में
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एक खिड़की खुली है अभी ।
 
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22:46, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

एक ही राह पर चलते चले जाने और
हर आंधी से ख़ुद्को बचाते रहनेकी आदत ने
आख़िर मुझे पटखी दिया
उस अजीबो-गरीब हवेली में
बंद होते गएजिसके
बाहरी-भीतरी दरवाज़े एक-एक कर
मेरे पीछे

घुप्प अंधेरे में
देखता हूँ
सीढ़ीनुमा एक खिड़की
खुलती हुई
आसमान की तरफ
जीना सिखाती
आती है यहीं से
कभी चमचमाती धूप, रिमझिमाते बादल,
कभी ओलों की बौछार
झपट्टा मारती चमकती आँखों वाली बिल्ली...

पहले की तरह
इस बार मैं डरा हुआ नहीं हूँ
खुली खिड़की--
हँसती है
रोती है/ सुबकती है/ थिरकती है/ ढहती है

अंधेरी हवेली में
एक खिड़की खुली है अभी ।