Last modified on 11 नवम्बर 2018, at 19:53

एक चीज़ / रमेश क्षितिज / राजकुमार श्रेष्ठ

वैसे तो बहुत कुछ है पृथ्वी में
यहाँ घूमता रहता है पर्यटक की तरह सूरज
मृदु मुस्कान-सी उसकी सुबह

यह बूढ़े पर्वत और उनकी शालीन गम्भीरता
यह तरुण दरिया और उनकी मादक चंचलता
चोटियाँ और चबूतरे
साफ़ रुमाल जैसा सुबह का नीला आसमान
और साँझ में कालिगढ़ी से तारे

हाँ, बहुत कुछ है पृथ्वी में
यह स्वतंत्र पक्षी और पात फड़फड़ाते वृक्ष
प्रेमपूर्वक बजाय गए वायलिन की धुन और मीठी यादें

प्रिय अतीत और उजाला भविष्य
अनन्त फैले रास्ते और सुखद यात्राएँ है पृथ्वी में
और हैं बड़े-बड़े पुस्तकालय और पुरातात्विक दरबार

और भी बहुत कुछ है
फिर भी एक चीज़
सिर्फ़ तुम नहीं
तो कुछ भी नहीं है पृथ्वी में !

मूल नेपाली भाषा से अनुवाद : राजकुमार श्रेष्ठ