एक जरा सी दुनिया घर की
लेकिन चीजें दुनिया भर की
फिर वो ही बारिश का मौसम
खस्ता हालत फिर छप्पर की
रोज सवेरे लिख लेता है
चेहरे पर दुनिया बाहर की
पापा घर मत लेकर आना
रात गये बातें दफ्तर की
बाहर धूप खड़ी है कब से
खिड़की खोलो अपने घर की
एक जरा सी दुनिया घर की
लेकिन चीजें दुनिया भर की
फिर वो ही बारिश का मौसम
खस्ता हालत फिर छप्पर की
रोज सवेरे लिख लेता है
चेहरे पर दुनिया बाहर की
पापा घर मत लेकर आना
रात गये बातें दफ्तर की
बाहर धूप खड़ी है कब से
खिड़की खोलो अपने घर की