भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक डूब लेल हे कोसी दुइ डूब लेल / अंगिका

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक डूब लेल हे कोसी दुइ डूब लेल,
तीन डूब गेल भसियाय ।।
जब तूँ आहे कोसिका हमरो डुबइबे,
आनब हम अस्सी मन कोदारि ।।
अस्सी मन कोदारिया हे रानो
बेरासी मन बेंट,
आगू-आगू धसना धसाय ।।