Last modified on 30 अगस्त 2021, at 23:54

एक तेरी नज़र बदलते ही / रचना उनियाल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:54, 30 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना उनियाल |अनुवादक= |संग्रह=क़द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक तेरी नज़र बदलते ही,
अश्क़ हैं आँख में तड़पते ही।
 
बात तनहा रही दिलों में अब,
प्यार के पल सनम बिछड़ते ही।
 
हाल दिल का अगर बतायें तो,
फ़ुरसतें खो रहीं हैं मिलते ही।
 
इश्क़ का जाम पी सकेंगे गर,
साँस में साँस के मचलते ही।
 
ग़ैर जानम मुझे न तुम कहना,
इश्क़ की बेख़ुदी के ढलते ही।
 
बात अहसास दिल जवाँ रहता,
नफ़रतों के दिलों पनपते ही।
 
कह सकूँ शेर को कहे ‘रचना’,
वाह की दाद हो जो कहते ही।