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एक थमा हुआ पल / दामिनी

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 इस पल,
अंधेरा उफान पर है
सन्नाटा जबान पर है
लम्हे थमे हुए हैं
आंसू जमे हुए हैं
ठहरी हुई रात में
अनकही बात में
अधूरे-से साथ में से छिटककर
जो पल सवालिया नजरों से देखता हुआ
मुझे बता रहा है
समेटे सारे जज्बात को
समझा रहा है,
कि इसी पल के ठीक बाद
जिसे मैं सांस रोके देख रही हूं
तुम्हारे सारे रास्ते
मुझ तक आते-आते
अचानक मुड़ जाने वाले हैं
और मैं
उस नीली नदी के ठहरे पानी-सी
इंतजार में हूं
ये सब हो चुकने के,
क्योंकि ठीक इसी पल के बाद
उफान पर पहुंचा अंधेरा
रोशनी छलकाएगा
जबान का सन्नाटा
नगमें गुनगुनाएगा,
थमे लम्हे
मेरे साथ बह चलेंगे
आंसू पिघल जाएंगे
ठहरी रातों को पीछे छोड़
अनकही बातों का रुख मोड़
अधूरे-से साथ के भ्रमों को छोड़
मैं अपनी तलाश में
निकल पड़ूंगी,
क्योंकि तुम्हें पाने की
इस नन्ही-सी ख्वाहिश में
मैंने अपने बरगद को
बोनसाई बना दिया था।
सिर्फ तुम्हें याद रखने की कोशिश में
खुद को भी भुला दिया था
उसी ‘खुद’ की
करनी है तलाश मुझे,
इस पल के बीत जाने पर,
ये पल, जो थमा हुआ है
ये पल, जो ठहरा हुआ है।