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एक थी ज़िन्दगी / अंशु हर्ष

ज़िन्दगी वो जगह है
जहाँ रहने के कई
क़ायदे कानून है
वहीं पेचीदा नियमों में
बंध जाती है ज़िन्दगी
जहाँ हमे लगता है
घुट गयी है साँसे
एक संघर्ष का अहसास होता है
कभी कभी गुस्सा बेहिसाब होता है
लेकिन जानते हो रूह का कोई नियम नही होता
चली जाती है अपनी रौ में
उड़ती हुई कही
जानती है वो भी कि
कोई अपना नही होता
प्यार जो खुद अधूरा शब्द है जीवन का
कोई क्या उसे पूरा कर पाएगा
करों तो इबादत करों
जीवन तभी सफल सार्थक हो पायेगा
मेरी रूह की राह आज़ाद है
उसे कोई कभी समझ भी न पाएगा
छोड़ दिया मैंने ज़िन्दगी को सोचना
बस कुछ जिम्मेदारियां है
जिन्हें ये जिस्म मरते दम तक निभाएगा।