Last modified on 26 जुलाई 2008, at 14:26

एक दिन माँ कुदरत कहेगी, / नाज़िम हिक़मत

एक दिन माँ कुदरत कहेगी,

"अब चलो ...

अब और न हँसी, न आँसू,

मेरे बच्चे ..."

और अन्तहीन एक बार

और ये शुरू होगी

ज़िन्दगी जो न देखे, न बोले,

और न सोचा करे