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"एक नाव थी फँसी / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

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भला इसका ज्ञान।
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वो दूर देश कहीं
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दोनों हैं खुश
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तिल-तिल मरता
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आँसू है पीता
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पर चुप रहता
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निहारता रहता
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वो पुराना सवार।
  
 
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18:25, 18 जुलाई 2018 के समय का अवतरण


मझधार में
एक नाव थी फँसी
सवार आया
देख वो घबराया
नाव को लेके
था किनारे लगाया ।
बना गहरा
मधुर,विलक्षण
प्यारा- सा रिश्ता ।
कितने सफ़र थे
संग में किए
वो सपने सारे ही
साकार हुए ।
काँटों की राह चले
पीछे ना हटे ।
छूट गए सारे ही
सगे- संबंधी ।
मासूम वो सवार
बड़ा नादान
छल-कपट भरी,
बेदर्द इस
दुनिया से अनजान ।
बाज़- सा आया
इक नया सवार
उसे कहाँ था
भला इसका ज्ञान।
ले गया नाव
वो दूर देश कहीं
दोनों हैं खुश
तिल-तिल मरता
आँसू है पीता
पर चुप रहता
कभी झील को
मझधार को कभी
यूँ अपलक
निहारता रहता
वो पुराना सवार।