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एक पईसा के भाजी ला / छत्तीसगढ़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक पईसा के भाजी ला, दू पईसा बेचे गोई
गोंदली ला रखे जी मां डार के
अवो मची अम्मा वो, अवो पेड़ हम्मा वो
बईठे मरारिन बजार में

पररा में केरा संतरा धरके, बईठे रइथस कोर कोर में
एक बेर लेवैया हा दु बेर आथे, हँसत रइथे तोर संग में
खटमेचिया टुरा हा मेछा ला एठियाके
खटमेचिया टुरा हा मेछा ला एठियाके, पईसा देथे आँखी मार के
गोई बजार में

एक पईसा के भाजी ला, दू पईसा बेचे गोई
गोंदली ला रखे जी मां डार के
अवो मची अम्मा वो, अवो पेड़ हम्मा वो
बईठे मरारिन बजार में

गोड मा हे मेंहदी, झमके मुंदरी, खोपा के मोगरा महके
बंगला के पान खाये, मुंहे रचाये, छंड़त है लुगरा तोर मुड़ के
हरियर भाटा ला आघु मा रख दे, कड़हा भाटा ला पानी छिच दे
गोई बजार में

एक पईसा के भाजी ला, दू पईसा बेचे गोई
गोंदली ला रखे जी मां डार के
अवो मची अम्मा वो, अवो पेड़ हम्मा वो
बईठे मरारिन बजार में