Last modified on 27 मार्च 2020, at 21:40

एक बार आजा हमारी नगरिया / सुभाष चंद "रसिया"

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:40, 27 मार्च 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुभाष चंद "रसिया" |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक बार आजा हमरी नगरिया में।
पलक पावना बिछवनी डगरिया में॥

जूही चमेली के हरवा बनवली,
गुलदस्ता सगरी गुलाबी सजवनी,
खड़ा स्वागत में, जुगुनू झोपड़िया में॥
एक बार आजा हमरी नगरिया में॥

चन्दन काठे के पिरहि बिछाइबे,
छप्पनभोग वाला बिजन बनाइब,
 सजन जेवना जेवाईब ओसरिया में॥
एक बार आजा हमरी नगरिया में॥

सुरहा रतोही के तलवा घुमइबे,
साइबेरिया वाली चिरई दिखईबे,
शाम शॉपिंग कराइब बजरिया में॥
एक बार आजा हमरी नगरिया में॥

चाँद सूरज तोहार देखेले रहिया,
भोर के किरिनिया फैलावेले बहिया,
मनवा पागल बा "रसिया" , कोठरिया में॥
एक बार आजा हमरी नगरिया में॥