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"एक बुढ़िया का इच्छा-गीत / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

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जब मैं लगभग बच्ची थी
 
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हवा कितनी अच्छी थी
 
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घर से जब बाहर को आई
घर से जब बाहर को आयी
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लोहार ने मुझे दराँती दी
 
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उससे मैंने घास काटी
 
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गाय ने कहा दूध पी
 
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दूध से मैंने, घी निकाला
 
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उससे मैंने दिया जलाया
 
उससे मैंने दिया जलाया
 
 
दीये पर एक पतंगा आया
 
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उससे मैंने जलना सीखा
 
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जलने में जो दर्द हुआ तो
 
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उससे मेरे आँसू आए
उससे मेरे आंसू आये
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आँसू का कुछ नहीं गढ़ाया
 
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गहने की परवाह नहीं थी
 
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घास-पात पर जुगनू चमके
 
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मन में मेरे भट्ठी थी
 
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मैं जब घर के भीतर आई
मैं जब घर के भीतर आयी
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जुगनू-जुगनू लुभा रहा था
 
जुगनू-जुगनू लुभा रहा था
 
 
इतनी रात इकट्ठी थी ।
 
इतनी रात इकट्ठी थी ।
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16:48, 5 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

 
जब मैं लगभग बच्ची थी
हवा कितनी अच्छी थी

घर से जब बाहर को आई
लोहार ने मुझे दराँती दी
उससे मैंने घास काटी
गाय ने कहा दूध पी
 
दूध से मैंने, घी निकाला
उससे मैंने दिया जलाया
दीये पर एक पतंगा आया
उससे मैंने जलना सीखा
 
जलने में जो दर्द हुआ तो
उससे मेरे आँसू आए
आँसू का कुछ नहीं गढ़ाया
गहने की परवाह नहीं थी
 
घास-पात पर जुगनू चमके
मन में मेरे भट्ठी थी
मैं जब घर के भीतर आई
जुगनू-जुगनू लुभा रहा था
इतनी रात इकट्ठी थी ।