http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4_/_%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80&feed=atom&action=historyएक रात / कंस्तांतिन कवाफ़ी - अवतरण इतिहास2024-03-28T09:43:38Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%8F%E0%A4%95_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%A4_/_%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%A8_%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AB%E0%A4%BC%E0%A5%80&diff=140364&oldid=prevअनिल जनविजय: '{{KKRachna |रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया2012-05-09T13:04:12Z<p>'{{KKRachna |रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क...' के साथ नया पन्ना बनाया</p>
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|रचनाकार=कंस्तांतिन कवाफ़ी <br />
|संग्रह=<br />
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{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
कमरा सस्ता और गंदला था ।<br />
जारज शराबख़ाने ऊपर छिपा ।<br />
खिड़की से तुम गली देख सकते थे<br />
सँकरी और कूड़े-कचरे से भरी ।<br />
नीचे से आती कुछ कामगारों की आवाज़ें ।<br />
पत्ते खेलते और शराब के दौर चलते हुए ।<br />
<br />
और वहाँ काफ़ी बार बरते, निचले बिस्तर पर<br />
मेरे पास प्यार की देह थी, मेरे पास होंठ थे,<br />
आनन्द के गुलाबी होंठ और विलासभरे...<br />
गुलाबी होंठ ऐसे आनंद के, कि अब भी<br />
ज्यों ही मैं लिखता हूँ, इतने बरसों बरस बाद !<br />
अपने अकेले घर में, फिर से हूँ धुत्त नशे में ।<br />
<br />
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : पीयूष दईया'''<br />
</poem></div>अनिल जनविजय