भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक राधा एक मीरा इक प्रेम दीवानी इक दरस दीवानी / रविन्द्र जैन

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:07, 27 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविन्द्र जैन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक राधा, एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा
अन्तर क्या दोनों की चाह में बोलो
इक प्रेम दीवानी, इक दरस दीवानी
एक राधा, एक मीरा ...

राधा ने मधुबन में ढूँढा
मीरा ने मन में पाया
राधा जिसे खो बैठी
वो गोविन्द और दरस दिखाया
एक मुरली एक पायल, एक पगली, एक घायल
अन्तर क्या दोनों की प्रीत में बोलो
एक सूरत लुभानी, एक मूरत लुभानी
इक प्रेम दीवानी, इक दरस दीवानी ...

मीरा के प्रभु गिरिधर नागर
राधा के मनमोहन
राधा दिन {श}ऋंगार करे
और मीरा बन गयी जोगन
एक रानी एक दासी, दोनों हरि प्रेम की प्यासी
अन्तर क्या दोनों की तृप्ति में बोलो
एक जीत न मानी, एक हार न मानी
इक प्रेम दीवानी, इक दरस दीवानी ...