Last modified on 20 जनवरी 2009, at 01:22

एक वस्त्र ही / तेजी ग्रोवर

देह में
शब्द नहीं बन रहे
और समय

आज सारा दिन
खूँटी पर सफ़ेद शर्ट हिलती रही
चिड़ियाँ डरकर उड़ती रहीं-

'पानी पियो', कोई कहता है
'तेईस साल पहले की एक बूंद
ही सही, पियो तो'-
सूनी देह की ओर
अपनी देह की पूरी नमी से देखते हुए
कोई कहता है
शब्द सहज है
और दुख

कमरे में
एक वस्त्र ही हवा का उत्तर देता है