Last modified on 5 अगस्त 2009, at 18:55

एक व्याधि गज काम बस / भीषनजी

एक व्याधि गज काम बस, परयो खाडे सिर कूटिहै।
पंच व्याधि बस 'भीखजन सो कैसे करि छूटिहै॥
नैनहु नीरु बहै तनु षीना, भये केस दुधवानी।
रुँधा कंठु सबदु नहीं उचरै, अब किया करहि परानी॥
राम राइ होहि वैद बनवारी।
अपने संतह लेहु उबारी॥