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एक शरारती लड़की / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह

अनजाने बेल्जियन खाने से एक बार ही प्लेट भर मैं
सुकून से पसर गया एक बड़ी कुर्सी में,
उस भूरे भोजन कक्ष में,
जो महक रहा था फलों और ताज़े रंग-रोगन की ख़ुशबू से।

खाना खाते हुए सुनी मैंने घण्टे की आवाज़ — फिर नि:शब्द शान्ति
एक आवाज़ के साथ रसोई का दरवाज़ा खुला
और पता नहीं किसलिए बाहर निकली नौकरानी
गले में आधा खुला गुलुबन्द और नफ़ासत से सँवरे बाल लिए।

टहलते हुए उसका छोटा नाज़ुक हाथ थिर रहा था
उसके कोमल गाल पर, जो लिए थे नाश्पाती-सी गुलाबी-श्वेत आभा
और वह मासूम बच्चे की तरह बिचका रही थी नरम होंठ।

मेरी सुविधा के लिए, मेरे पास झुककर तश्तरी इकट्ठी कर रही थी वह
तब ऐसे ही, बिल्कुल, चुम्बन पाने के लिए ही तो बुदबुदाई —
 "ठण्ड लग गई है मेरे गालों को।"

मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह