कविता कोश में शेर
एक शे’र१
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कमज़रफ़ी-ए-गुफ़्तार है दुश्नाम-तराज़ी
तहज़ीब तो शाइस्तगी-ए-दीदए-तर<ref>नम आँखों की शालीनता</ref> है
शब्दार्थ
<references/>कविता कोश में शेर
एक शे’र१
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कमज़रफ़ी-ए-गुफ़्तार है दुश्नाम-तराज़ी
तहज़ीब तो शाइस्तगी-ए-दीदए-तर<ref>नम आँखों की शालीनता</ref> है