एव सरह भणइ खबणाअ मोक्ख महु किम्मि न भावइ।
तत्त रहिअ काया ण ताव पर केवल साहइ॥
सरह ऐसा कहता है कि क्षपणकों का मोक्ष मुझे अच्छा नहीं लगता। उनका शरीर तत्वरहित होता है और तत्वरहित शरीर परमपद की साधना नहीं कर सकता।
एव सरह भणइ खबणाअ मोक्ख महु किम्मि न भावइ।
तत्त रहिअ काया ण ताव पर केवल साहइ॥
सरह ऐसा कहता है कि क्षपणकों का मोक्ष मुझे अच्छा नहीं लगता। उनका शरीर तत्वरहित होता है और तत्वरहित शरीर परमपद की साधना नहीं कर सकता।