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ऐसा क्या लिखूँ / सौरभ

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ऐसा क्या लिखूँ इस दौर में
जो ला सके अमन
और दे सके चैन
जिसे पढ़कर रूह को पहुँचे सुकून
जिसे गुनगुना कर
गोरी पनघट से भरे पानी
जिसे सुन मुर्झाए फूल खिल सकें
रेगिस्तान हो हरा-भरा
और समुद्र में भटके नाविक
को मिले अपनी दिशा।