Last modified on 29 अगस्त 2009, at 18:37

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही / ख़ुमार बाराबंकवी

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:37, 29 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खुमार बाराबंकवी |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> ऐसा नहीं कि ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहले सी शिद्दत नहीं रही

सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुकूमत नहीं रही

पैहम तवाफ-ऐ-कूचा-ऐ-जाना के दिन गए
पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही

चेहरे की झुर्रियों ने भयानक बना दिया
आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही

कमजोरी-ऐ-निगाह ने संजीदा कर दिया
जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही

अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'खुमार '
अब मुझ को जिंदगी की ज़रूरत नहीं रही