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ऐसा राम हमारे आवै / दादू दयाल

राग: गौरी
ऐसा राम हमारे आवै।
बार पार कोइ अंत पावै॥टेक॥

हलका भारी कह्या न जाइ।
मोल-माप नाहिं रह्या समाइ॥

किअम्त लेखा नहिं परिमाण।
सब पचि हार साध सुजाण॥२॥

आगौ पीछौ परिमित नाहीं।
केते पारिष आवहिं जाहीं॥३॥

आदि अंत-मधि लखै न कोइ।
दादू देखे अचरज होइ॥४॥