Last modified on 27 नवम्बर 2015, at 03:49

ऐसी को खेले तोसे होरी / ब्रजभाषा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:49, 27 नवम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=सूरदास }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=ब्रजभाष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

   ♦   रचनाकार: सूरदास

ऐसी को खेले तोसे होरी॥ टेक
बार-बार पिचकारी मारत, तापै बाँह मरोरी। ऐसी.
नन्द बाबा की गाय चराबो, हमसे करत बरजोरी।
छाछ छीन खाते ग्वालिन की, करते माखन चोरी। ऐसी.
चोबा चन्दन और अरगजा, अबीर लिये भर झोरी।
उड़त गुलाल लाल भये बादर, केसरि भरी कमोरी। ऐसी.
वृन्दावन की कुंज गलिन में, पावौं राधा गोरी
‘सूरदास’ आश तुम्हरे दरश की, चिरंजीवी ये जोरी। ऐसी.