भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐसे निज नाम की खबर जब आई / संत जूड़ीराम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐसे निज नाम की खबर जब आई।
नाशी जिकर फिकर तन की हम अधार दीदार जगाई।
भयो अडोल अकल अनभै की सकल सोच वृभ दूर बहाई।
बलहारी सतगुरु चरनन की जिन जो मारग दियो लखाई।
जूड़ीराम मगन भओ मनुआ राचों रंग प्रेमधुन छाई।