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ऐ इस देश के बनने वाले भविष्य / तेजेन्द्र शर्मा

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रचनाकार: तेजेन्द्र शर्मा

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ऐ इस देश के बनने वाले भविष्य
काश!
मैं तुम्हें
अपने देश के बनने वाला भविष्य
कह पाता! और मिलता मुझे
सुकून! शांति ! और सुख!

उठो इस देश के भविष्य
और वस्तुःस्थिति को पहचानो
अब तुम्हें उठाना है
पढ़ाई के अतिरिक्त
और भी एक बोझ!
यह मज़दूर की सरकार है
मज़दूर को
बोझा ढोना, आना ही चाहिये
मज़दूर की सरकार का हुक्म है
तुम्हें पढ़ाई के लिये
उठाना होगा
और भी अधिक कर्ज़
यही है तुम्हारा फ़र्ज़

पहले महंगा हुआ पेट्रोल
फिर पार्किंग
सुपर मार्केट हुई
सुपर महंगी
अब मकानों को देखने के
भी लगेंगे दाम
हे राम !

इस देश के बनने वाले भविष्य
का वर्तमान
घमासान ! परेशान !
बोझा उठाओ, जुट जाओ
देखना
कहीं कमर ना मुड़ जाए
भविष्य कहीं
कुबड़ा न हो जाए !