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ऐ ग़म! न छोड़ना हमें इस ज़िन्दगी के साथ / गुलाब खंडेलवाल
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ऐ ग़म न छोड़ना हमें इस ज़िन्दगी के साथ
पकडा है तेरा हाथ बड़ी बेबसी के साथ
लाकर हमारे होंठ तक प्याला पटक दिया
की दोस्ती भी उसने मगर दुश्मनी के साथ
यों तो खुशी के दौर भी आये तेरे बगैर
आँसू निकल ही आये मगर हर खुशी के साथ
हमने तो खेल-खेल में खुद को लुटा दिया
अच्छा नहीं था खेलना ऐसे किसी के साथ
लायेगी रंग एक दिन चुप्पी गुलाब की
कुछ कह गए हैं वह भी बड़ी सादगी के साथ