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"ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? / कैफ़ी आज़मी" के अवतरणों में अंतर

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धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी  
 
धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी  
यूँ ही लौट आती है या कर के वजू आती है?
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यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती है?
  
 
अपने सीने में चुरा लाई है किसे की आहें  
 
अपने सीने में चुरा लाई है किसे की आहें  
 
मल के रुखसार पे किस किस का लहू आती है!
 
मल के रुखसार पे किस किस का लहू आती है!

12:36, 8 जुलाई 2010 का अवतरण

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ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है?
तेरी हर लहर से बारूद की बू आती है!

खून कहाँ बहता है इन्सान का पानी की तरह
जिस से तू रोज़ यहाँ करके वजू आती है?

धाज्जियाँ तूने नकाबों की गिनी तो होंगी
यूँ ही लौट आती है या कर के रफ़ू आती है?

अपने सीने में चुरा लाई है किसे की आहें
मल के रुखसार पे किस किस का लहू आती है!