Last modified on 5 नवम्बर 2018, at 00:19

ऑक्सीजन / अनुज लुगुन

ऑक्सीजन के बिना
सब कुछ थमने लगता है
मसलन, रेल
जहाज़
यहाँ तक कि राज-पाट भी
और जब दम घुटता है तो
सबसे पहले बच्चे ही मरते हैं

जब बच्चे मरने लगें
तो उस समय के
रसायनों को परख लेना चाहिए
हो सकता है कि
वहाँ बच्चों की मौत संक्रामक हो
ऐसा भी हो सकता है कि
बड़े भी उसकी चपेट में पहले से हों
और घुट रहे हों समय के समीकरणों में
ख़बरें छपती हैं बच्चों के मरने की
सड़कों पर
गड्ढ़ों में
स्कूलों में
यहाँ तक कि अस्पतालों में
उनकी सामूहिक मौत
नृशंस हत्या नहीं कहलाती
न ही उस देश के प्रधान सेवक को
इस बात का अफ़सोस होता है कि
बच्चे मर रहे हैं
इसका मतलब है कि
कहीं न कहीं
उसके समय में जीवन की संभवनाएँ घट रही हैं

ऑक्सीजन की सप्लाई बन्द है
ऑक्सीजन ख़त्म हो रहा है
ऑक्सीजन न होने से बच्चे मर रहे हैं
ये ऐसे कथन हैं जो किसी समय में
हमारे होने को
कोई दूसरे तय करते हैं
जैसे कि इस ग्रह में
यह दुर्लभ है
उनके लिए जो जीना चाहते हैं

हमें बताया जाता है कि ऑक्सीजन जीवनदायिनी है
हमें सिखाया जाता है कि ऑक्सीजन संजीवनी है
हमसे छुपा लिया जाता है कि ऑक्सीजन शासन की कहानी है