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ओछी समझ पाकिस्तान की / चित्रभूषण श्रीवास्तव 'विदग्ध'

बातें करता रहता जो नित ऐंठ औं अभिमान की
ना समझदारी ही उसमें दिखती पाकिस्तान की

हमने ऑगन में ही अपने दी उसे रहने जगह
पर झलक आती है उसकी ऑखो में शैतान की

करता रहता सरहदो पर ओछी हरकत आये दिन
शायद उसको नहीं चिंता खुद के भी अपमान की

अमरीका की इनायत पै चलता आया आज तक
भुला कर परवाह सारे विश्व के कल्याण की

आये दिन बदनियत से करता है वह घुसपैठ जो
बताता हैं नियत उसकी है नहीं ईमान की

पडोसी भर क्या? खफा उससे है अब सारा जहॉ
उसकी कीमत रह गई है अदना एक नादान की

बेशरम इतना कि करता जा रहा नई उलझनें
औं जुटाता जा रहा नये मौत के सामान ही

अहित अपना कर रहा है कर रहा जग का बुरा
खो गई है समझ शायद कल के भी अनुमान की