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"ओम जय जगदीश हरे / श्रद्धा राम फिल्‍लौरी" के अवतरणों में अंतर

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(1)
 
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ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
स्वामी जय जगदीश हरे
 
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
+
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट,
+
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे,
+
क्षण में दूर करे
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(2)
 
(2)
जो ध्यावे फल पावे,
+
जो ध्यावे फल पावे
 
दुख बिनसे मन का
 
दुख बिनसे मन का
 
स्वामी दुख बिनसे मन का
 
स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्मति घर आवे,
+
सुख सम्मति घर आवे
सुख सम्मति घर आवे,
+
सुख सम्मति घर आवे
 
कष्ट मिटे तन का
 
कष्ट मिटे तन का
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(3)
 
(3)
मात पिता तुम मेरे,
+
मात-पिता तुम मेरे
 
शरण गहूं मैं किसकी
 
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी .
+
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
+
तुम बिन और न दूजा
तुम बिन और न दूजा,
+
प्रभु बिन और न दूजा
 
आस करूं मैं जिसकी
 
आस करूं मैं जिसकी
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(4)
 
(4)
तुम पूरण परमात्मा,
+
तुम पूरण परमात्मा
 
तुम अंतरयामी
 
तुम अंतरयामी
 
स्वामी तुम अंतरयामी
 
स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
+
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर,
+
पारब्रह्म परमेश्वर
 
तुम सब के स्वामी
 
तुम सब के स्वामी
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(5)
 
(5)
तुम करुणा के सागर,
+
तुम करुणा के सागर
 
तुम पालनकर्ता
 
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता,
+
स्वामी तुम पालनकर्ता
 
मैं मूरख खल कामी
 
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
+
मैं सेवक तुम स्वामी
 
कृपा करो भर्ता
 
कृपा करो भर्ता
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(6)
 
(6)
तुम हो एक अगोचर,
+
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति,
+
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति,
+
स्वामी सबके प्राणपति
किस विध मिलूं दयामय,
+
किस विध मिलूं दयामय
किस विध मिलूं दयामय,
+
किस विध मिलूं दयामय
 
तुमको मैं कुमति
 
तुमको मैं कुमति
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
  
 
(7)
 
(7)
दीनबंधु दुखहर्ता,
+
दीनबंधु दुखहर्ता
ठाकुर तुम मेरे,
+
ठाकुर तुम मेरे
 
स्वामी तुम मेरे
 
स्वामी तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ,
+
अपने हाथ उठाओ
 
अपनी शरण लगाओ
 
अपनी शरण लगाओ
 
द्वार पड़ा तेरे
 
द्वार पड़ा तेरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
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(8)
 
(8)
विषय विकार मिटाओ,
+
विषय विकार मिटाओ
पाप हरो देवा,
+
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा,.
+
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
+
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
 
संतन की सेवा
 
संतन की सेवा
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
ॐ जय जगदीश हरे
 
 
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11:03, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

(1)
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

(2)
जो ध्यावे फल पावे
दुख बिनसे मन का
स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्मति घर आवे
सुख सम्मति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे

(3)
मात-पिता तुम मेरे
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा
प्रभु बिन और न दूजा
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे

(4)
तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतरयामी
स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे

(5)
तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे

(6)
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विध मिलूं दयामय
किस विध मिलूं दयामय
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे

(7)
दीनबंधु दुखहर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे

(8)
विषय विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वमी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे