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ओळूं रो सूरज / किरण राजपुरोहित ‘नितिला’

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सगळी बातां
जद बीतगी
बणागी सूरज ओळूं रो
जिण मांय-
पिघळ-पिघळ
भरीजै फेरूं
झील म्हारी
ओळूं री।