Last modified on 6 सितम्बर 2011, at 05:24

ओळ्यूं-5 / पूर्ण शर्मा पूरण

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:24, 6 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूर्ण शर्मा पूरण |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMoolRajasthani‎}}<poem>म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेळै जिसी भीड़ मांय ई
म्हनै
आवड़ै कोनी
तद कळमळायनै पूगंणौ चावूं
थारै तांई
पंण
हाथ पूगै कोनी।