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"ओ ! सूरज भोर के / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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रुक जा, दे दे साथ
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माना कि है तू
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निष्काम कर्मयोगी 
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आदर्श तेरा
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कृष्ण के सन्देश -सा 
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किन्तु सुन तो
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सात घोड़ों वाले तू !
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रथ चढ़ेगा
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दिन भर बढ़ेगा
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तेरा तो ताप; 
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किन्तु मैं अकिंचन
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सह न सकूँ
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बोझ तले आक्रान्त
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हूँ कर्मयोगी
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साँझ तक तुझ-सा
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चलूँगा मैं भी
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तू पूजनीय भी  है
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तेजस्वी भी है,
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मैं हूँ धूल- धूसर
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कृष्ण अछूत,     
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और एक अंतर-
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तेरे पास है,
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रथ सात घोड़ों का;
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परन्तु नहीं
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मेरे पास कुछ भी,
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फिर भी देख-
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'''इन्हीं नंगे पाँव से''' 
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'''मीलों चलना  मुझे.'''
  
 
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16:43, 18 जुलाई 2018 के समय का अवतरण


धीरे से चल
ओ ! सूरज भोर के
कुछ देर तो
रुक जा, दे दे साथ
बोझे ढोने में
अभी कुछ शेष हैं
ईंट-पत्थर-गारे
माना कि है तू
निष्काम कर्मयोगी
आदर्श तेरा
कृष्ण के सन्देश -सा
किन्तु सुन तो
सात घोड़ों वाले तू !
रथ चढ़ेगा
दिन भर बढ़ेगा
तेरा तो ताप;
किन्तु मैं अकिंचन
सह न सकूँ
बोझ तले आक्रान्त
हूँ कर्मयोगी
साँझ तक तुझ-सा
चलूँगा मैं भी
तू पूजनीय भी है
तेजस्वी भी है,
मैं हूँ धूल- धूसर
कृष्ण अछूत,
और एक अंतर-
तेरे पास है,
रथ सात घोड़ों का;
परन्तु नहीं
मेरे पास कुछ भी,
फिर भी देख-
इन्हीं नंगे पाँव से
मीलों चलना मुझे.