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ओ आलू कचालू / अनुभूति गुप्ता

ओ आलू कचालू,
तुम कहाँ गए थे?
क्या बगिया में
गुम हो गए थे?
बिल्ली मौसी के
साथ खेल रहे थे,
क्या मिट्टी में
लोटपोट हो गए थे?