भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली }} {{KKCatGeet}} <poem> . (19) फ़िल्म 'गजरे' </poem>) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
{{KKCatGeet}} | {{KKCatGeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | . | + | ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज |
+ | हो गयी सरसों पीली-पीली | ||
+ | आज हरी कल लाल चदरिया | ||
+ | परसों ओढू नीली-नीली | ||
+ | ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज | ||
+ | हो गयी सरसों पीली-पीली... | ||
− | + | सुबह को पहनूँ तो सजनवा | |
+ | आस पास मंडलाए | ||
+ | शाम को पहनूँ तो बलम | ||
+ | घर छोड़ कहीं न जाए | ||
+ | बलम घर छोड़ कहीं न जाये | ||
+ | रात अंधेरी हो तो हो जाऊँ | ||
+ | जुगनू सी चमकीली | ||
+ | ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज | ||
+ | हो गयी सरसों पीली-पीली... | ||
+ | |||
+ | मन में नई उमंग | ||
+ | अंग में चुनरी ढीली-ढीली | ||
+ | अपने पिया से कुछ न सीखूँ | ||
+ | जब न मुझे तन ढीली पड़ गयी | ||
+ | जब न मुझे तन ढीली | ||
+ | होंठ रंगूँ मैं लाल गुलाबी आँखों से शर्मीली | ||
+ | ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज | ||
+ | हो गयी सरसों पीली-पीली... | ||
</poem> | </poem> |
08:50, 27 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली
आज हरी कल लाल चदरिया
परसों ओढू नीली-नीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...
सुबह को पहनूँ तो सजनवा
आस पास मंडलाए
शाम को पहनूँ तो बलम
घर छोड़ कहीं न जाए
बलम घर छोड़ कहीं न जाये
रात अंधेरी हो तो हो जाऊँ
जुगनू सी चमकीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...
मन में नई उमंग
अंग में चुनरी ढीली-ढीली
अपने पिया से कुछ न सीखूँ
जब न मुझे तन ढीली पड़ गयी
जब न मुझे तन ढीली
होंठ रंगूँ मैं लाल गुलाबी आँखों से शर्मीली
ओ दुपट्टा रंग दे मेरा रंगरेज
हो गयी सरसों पीली-पीली...