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ओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना / साग़र निज़ामी

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ओ दूर जाने वाले वादा न भूल जाना ।
रातें हुई अन्धेरी तुम चान्द बनके आना ।

अपने हुए पराए दुश्मन हुआ ज़माना ।
तुम भी अगर न आए मेरा कहाँ ठिकाना ।

आजा किसी की आँखें रो-रो के कह रही हैं,
ऐसा न हो कि हमको करदे जुदा ज़माना ।