Last modified on 20 जनवरी 2024, at 03:30

ओ समय, तुम पीछा कर रहे मेरा / रसूल हम्ज़ातव / श्रीविलास सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:30, 20 जनवरी 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव |अनुवादक=श्रीविला...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ओ समय, तुम पीछा कर रहे मेरा आतंक के सिपाहियों संग
पीड़ादायक खुलासों, अनादर, बेचैनी;
आज तुम आरोपित कर रहे मुझे कल की ग़लतियों के लिए
और ध्वस्त कर दे रहे मेरे भ्रम रेत के किलों की भांँति।

कौन जानता था कि इतनी आसानी से ध्वस्त हो जाएँगे पुराने सत्य ?
फिर तुम क्यों हँसते हो मुझ पर, इतनी कठोरता क्यों ?
मैंने उन्हीं बातों में ग़लतियाँ की जहाँ ग़लत थे तुम भी,
दोहराते हुए तुम्हारे शब्द अपनी उन्मत्त अंधता में !

(1968)

लु ज़ेलिकॉफ के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह

लीजिए, अब यही कविता लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
                              Rasul Gamzatov
                              


1968

Translated by Peter Tempest

लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए

              Расул Гамзатов
       

1968