भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

औरत-3 / किरण येले

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: किरण येले  » औरत-3

औरत
नाख़ून बढ़ाती है
और
ज़िन्दगी भर उन पर
रंग लगाने बैठती है ।

मूल मराठी से अनुवाद : सूर्यनारायण रणसुभे