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औरत बनाम प्रश्नचिन्ह / ज्योति रीता

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औरत का कहना प्रेम,
फैला देना बाहें,
देख कर मुस्कुरा देना,
खुश होकर गले लगाना,
प्रश्नचिन्ह है
चरित्र पर

कदमों का तेज चलना,
गहरी आवाज़ पर
कुछ देर रुक जाना,
थमकर सुन लेना
चिहुंककर कह देना
क्या बात है?
प्रश्न चिह्न है
चरित्र पर

तुम्हारा होना भी
होने पर
प्रश्नचिन्ह है?
तुम्हारा ज़िंदा होना
सांसो का चलना भर,
जबकि तुम मोहताज नहीं
मिथ्या भी नहीं,

सदियों का काला सच
तुम्हारा औरत होना,
गरज किसे?
खुश या उदास,
गुनाह इतना
तुम्हारा औरत होना

कौन ज़हमत ले?
जिक्र करे तुम्हारा,
प्रश्न भी तुम
और
प्रश्नचिन्ह भी तुम?