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और तुम हो / चंद्र रेखा ढडवाल


मैं छोड़ दूँगी
यह शहर
यहाँ मौन
भरी-भरी-सी
उन्मत्त चाँदनी है
काँच पर
सिर पटकती
तितली है
और तुम हो.