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कँज की सी कोर नैना ओरनि अरुन भई / आलम

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कँज की सी कोर नैना ओरनि अरुन भई,
                   कीधौं चम्पी सींब चपलाई ठहराति है।
भौहन चढ़ति डीठि नीचे कों ढरनि लागी,
                   डीठि परे पीठि दै सकुचि मुसकाति है ।
सजनी की सीख कछु सुनी अनसुनी करें,
                   साजन की बातें सुनि लाजन समाति है ।
रूप की उमँग तरुनाई को उठाव नयो,
                   छाती उठि आई लरिकाई उठी जाति है ।