कँज की सी कोर नैना ओरनि अरुन भई,
कीधौं चम्पी सींब चपलाई ठहराति है।
भौहन चढ़ति डीठि नीचे कों ढरनि लागी,
डीठि परे पीठि दै सकुचि मुसकाति है ।
सजनी की सीख कछु सुनी अनसुनी करें,
साजन की बातें सुनि लाजन समाति है ।
रूप की उमँग तरुनाई को उठाव नयो,
छाती उठि आई लरिकाई उठी जाति है ।