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कंतक आवाहन / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

आजु मुदित मन बालारूण केर- करू मंगल गुणगान अय
जड़ उपवन मे सुमन फुलाओल यौवन महमह भान अय
श्रैंगारिक वेला मे सपनहिं
प्रियतम छूलनि कपोल हमर
अर्द्ध निन्न मे चिहुँकल जहिना
सासु मरोडलि लोल हमर
अभिनव औता आजु सुनल दुरभाष मे अपने कान अय

झट उठि देखल धर्म मातृ केर
आनन परिमल पुष्प बनल
पूत दर्शनक आश मे डूबलि
मंजुल मुसकी पनकि रहल
चलू रम्भा भंडार चढ़ाबू हेता भुखल अहँक परान अय

असमंजस मे दुहु भैरवी
मातृक लोचन सुधा भरल
वामा हम तऽ नेहक लुत्ती,
तनय अनल प्रेम धधकि रहल
जननी हृदय छोह सँ आकुल स्वार्थहि हमर जहाँन अय

चरण छूबि नाथक माता केर
कयलहुँ चटपट स्नान हम
कुमकुम केसर जूही चमेली
कुलदेवी गमगम अनुपम
देवकी नन्दन बंसी बजाबथु बोरि- बोरि द्राक्षा तान अय

संभवि अहाँॅ ननदि नहि अनुजा
बनि बटलहुँ संत्रास हमर
नहि तऽ फॅसि विरहक संतापे
पीवि लेतहुँ कखनहुँ जहर
आनव उपहारे मे अहीं लेल विज्ञ, धान्यवर चान अय