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कंतक थैयां घुनूं मनइयां / राष्ट्रबंधु

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कंतक थैयां घुनूं मनइयां,
चंदा भागा पइयां-पइयां।
यह चंदा चरवाहा है, नीले-नीले खेत में,
बिलकुल सेंत-मेंत में, रत्नों भरे रेत में।
किधर भागता लइयां-पइयां,
कंतक थैयां घुनूं मनइयां।
अंधकार है घेरता, टेढ़ी आंखों हेरता,
चांद नहीं मुंह फेरता, रॉकेट को है टेरता।
मुन्नू को लूंगा मैं कइयां,
कंतक थैयां घुनूं मनइयां।
मिट्टी के महलों के राजा, ताली तेरी बढ़िया बाजा,
छोटा-छोटा छोकरा, सिर पर रक्खे टोकरा।
राम बनाए डोकरा,
बने डोकरा, करूं बलइयां।
कंतक थैयां घुनूं मनइयां।