मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
तोर ममता हे महान ओ।
कम पड़ जाही कतको कहूं त,
कइसे करौं बखान ओ।
तोर कोरा म आके मन,
सुध-बुध गवां जाथे।
जइसे कोरा म लईका,
दाई के समा जाथे।
खेल-कूद के माटी म तोर,
हो गेंव मय जवान ओ।
नींदिया नइ आये मोला,
तोर अंचरा के छईया बिन।
रतिहा बैरी पहावे नहीं,
गुनत-गुनत कटथे दिन।
तोर मया बर मोर महतारी।
हस के दे दौ जान ओ।