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कई बार कितने छोटे सुखों से सुखी हो जाता हूं / हेमन्त शेष
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कई बार कितने छोटे सुखों से सुखी हो जाता हूं
कितने छोटे दुखों से दुखी
'अनुभव' क्या चीज है क्या चीज़ है 'अनुभूति'
मैं था
कह सकता हूं मैं हूं
मैं यह भी कह सकता हूं
मैं रहूंगा
नहीं बांध पाता ये कहने की हिम्मत
कि भविष्य में होना मुझ से बाहर की सत्ता है
तब क्यों हुआ खुश क्यों खिन्न
बस यही एक बात नहीं जान पाता हर भविष्य में